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UP Board class 9 Social Science Chapter 2. यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Hindi Medium Notes - PDF

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यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

परिचय

  • 20वीं सदी की शुरुआत में यूरोप के अधिकांश देशों में राजशाही (Monarchy) थी।
  • रूस में ज़ार निकोलस द्वितीय का शासन था, जो एक निरंकुश शासक था।
  • रूसी क्रांति (1917) ने दुनिया का पहला साम्यवादी (Communist) सरकार बनाया और पूरी दुनिया को प्रभावित किया।

यूरोप में समाजवाद का उदय

  • औद्योगिक क्रांति के बाद समाज दो वर्गों में बंट गया:
    • शोषक वर्ग (Capitalist Class): जिनके पास उद्योग और पूंजी थी।
    • शोषित वर्ग (Working Class): मजदूर, जिन्हें कम मजदूरी और खराब हालात में काम करना पड़ता था।
  • इन असमानताओं के खिलाफ समाजवाद (Socialism) का विचार पैदा हुआ।
  • समाजवादियों का मानना था कि उद्योगों पर समाज का स्वामित्व होना चाहिए, न कि कुछ व्यक्तियों का।
  • कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स ने 1848 में 'कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो' लिखा।
  • मार्क्स ने समाज को वर्ग संघर्ष (Class Struggle) के रूप में देखा और भविष्यवाणी की कि मजदूर एक क्रांति करके पूंजीवाद को खत्म कर देंगे।

1917 से पहले रूसी समाज

  • सामाजिक स्थिति:
    • किसान: आबादी का 85%। ज़मीन की कमी के कारण गरीबी में जीवन व्यतीत करते थे।
    • मजदूर: काम के लंबे घंटे, कम मजदूरी, और बुरी स्थितियों में काम करते थे। उनके पास कोई राजनीतिक अधिकार नहीं थे।
    • अभिजात वर्ग: समाज का एक छोटा हिस्सा, जिसके पास सारी संपत्ति और विशेषाधिकार थे।
  • राजनीतिक स्थिति:
    • ज़ार सभी शक्तियों का केंद्र था। उसकी सलाह देने के लिए कोई चुनी हुई संसद नहीं थी।
    • ज़ार की नीतियों का विरोध करने वालों को कठोर दंड दिया जाता था।
  • धार्मिक स्थिति:
    • रूसी रूढ़िवादी चर्च (Russian Orthodox Church) का समाज पर गहरा प्रभाव था और यह ज़ार का समर्थन करता था।

1917 की रूसी क्रांति

  • 1905 की क्रांति:
    • 'ब्लडी संडे' के नाम से जानी जाने वाली घटना में ज़ार की सेना ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं।
    • इसके बाद पूरे देश में हड़तालें हुईं और ज़ार को ड्यूमा (एक संसद) बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
  • प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव:
    • रूस युद्ध में बुरी तरह हार रहा था, जिससे सेना का मनोबल टूट गया।
    • युद्ध ने अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया, जिससे खाने की कमी और मंहगाई हो गई।
    • लोग युद्ध और ज़ार के शासन से तंग आ चुके थे।
  • फरवरी क्रांति (1917):
    • फरवरी 1917 में, पेट्रोग्राद (सेंट पीटर्सबर्ग) में खाद्य की कमी के कारण हड़तालें शुरू हुईं।
    • जल्दी ही यह विद्रोह में बदल गया और ज़ार निकोलस द्वितीय को सिंहासन छोड़ना पड़ा।
    • इस तरह रूस में राजशाही का अंत हो गया।
    • अस्थायी सरकार (Provisional Government) का गठन हुआ, जिसने लोकतांत्रिक चुनाव कराने का वादा किया।
  • अक्टूबर क्रांति (1917):
    • अस्थायी सरकार युद्ध जारी रखना चाहती थी, जबकि लोग शांति चाहते थे।
    • व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व वाली बोल्शेविक पार्टी ने "जमीन किसानों को, शांति सबको, और सारी सत्ता सोवियतों को" का नारा दिया।
    • 25 अक्टूबर, 1917 को बोल्शेविकों ने अस्थायी सरकार के खिलाफ तख्तापलट किया और सत्ता पर कब्जा कर लिया।

क्रांति के बाद का रूस

  • बोल्शेविकों ने रूसी कम्युनिस्ट पार्टी का नाम लिया।
  • जमीन पर निजी स्वामित्व खत्म कर दिया गया।
  • बैंकों और उद्योगों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।
  • नई सरकार ने जर्मनी के साथ ब्रेस्ट-लिटोव्स्क संधि (1918) करके युद्ध से अलग हो गई।
  • बोल्शेविकों के विरोधियों (श्वेत सेना) और समर्थकों (लाल सेना) के बीच गृहयुद्ध (1918-1920) छिड़ गया। लाल सेना ने लियोन ट्रॉट्स्की के नेतृत्व में इस युद्ध में जीत हासिल की।
  • 1922 में सोवियत संघ (USSR) का गठन हुआ।

स्टालिनवादी समाज

  • 1924 में लेनिन की मृत्यु के बाद जोसेफ स्टालिन सत्ता में आया।
  • स्टालिन ने सोवियत संघ में समाजवाद बनाने के लिए पंचवर्षीय योजनाएँ (Five Year Plans) शुरू कीं।
  • उद्योगों और कृषि का विकास तेजी से हुआ, लेकिन इसकी बहुत बड़ी मानवीय लागत चुकानी पड़ी।
  • स्टालिन ने एक निरंकुश शासन स्थापित किया, जहाँ विरोधियों को कठोरता से दबाया जाता था।

रूसी क्रांति का वैश्विक प्रभाव

  • दुनिया के कई देशों में समाजवादी और कम्युनिस्ट पार्टियों का गठन हुआ।
  • यह औपनिवेशिक देशों के राष्ट्रीय आंदोलनों के लिए एक प्रेरणा बनी।
  • इसने पूरी दुनिया में पूंजीवाद और उपनिवेशवाद के खिलाफ एक नई बहस और आशा पैदा की।

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