UP Board class 11 Biology Chapter 20. गमन एवं संचलन Hindi Medium Notes - PDF
अध्याय 20: गमन एवं संचलन
यह अध्याय जीवों में होने वाली गति (Movement) और स्थान परिवर्तन (Locomotion) की प्रक्रियाओं पर केंद्रित है।
गमन एवं संचलन में अंतर
- गमन (Movement): यह जीव के शरीर के किसी एक भाग की गति होती है, जैसे पौधों में पत्तियों का सूर्य की ओर मुड़ना। यह जीव को एक स्थान पर रहते हुए भी हो सकता है।
- संचलन (Locomotion): यह पूरे जीव का एक स्थान से दूसरे स्थान पर विस्थापन होता है, जैसे कुत्ता दौड़ना, मछली का तैरना। यह जीव को भोजन, आश्रय, साथी आदि की तलाश में करना पड़ता है।
पेशी (Muscle)
पेशियाँ संकुचनशील ऊतक होती हैं जो गति के लिए जिम्मेदार हैं। मनुष्यों में तीन प्रकार की पेशियाँ पाई जाती हैं:
- कंकाल पेशी (Skeletal Muscle): ये ऐच्छिक पेशियाँ होती हैं और हड्डियों से जुड़ी होकर संचलन में सहायता करती हैं। इनकी कोशिकाएँ लंबी, बेलनाकार और रेखित होती हैं।
- चिकनी पेशी (Smooth Muscle): ये अनैच्छिक पेशियाँ होती हैं और आंतरिक अंगों (जैसे आहारनाल, रक्त वाहिनियों) की दीवारों में पाई जाती हैं। ये रेखित नहीं होतीं।
- हृदय पेशी (Cardiac Muscle): ये केवल हृदय में पाई जाने वाली अनैच्छिक पेशियाँ हैं। ये रेखित होती हैं लेकिन शाखित संरचना की होती हैं और लयबद्ध संकुचन करती हैं।
पेशी संकुचन का सिद्धांत
पेशी संकुचन स्लाइडिंग फिलामेंट सिद्धांत (Sliding Filament Theory) के अनुसार होता है।
- पेशी तंतु (muscle fibre) में एक्टिन (पतले) और मायोसिन (मोटे) प्रोटीन के तंतु होते हैं।
- जब पेशी को संकुचन के लिए संकेत मिलता है, तो मायोसिन के सिर एक्टिन तंतु से जुड़ जाते हैं और उन्हें खींचते हैं।
- इससे एक्टिन तंतु मायोसिन तंतुओं के बीच में सरक जाते हैं, जिससे पेशी सिकुड़ती (शॉर्टन) है।
- यह प्रक्रिया ATP (ऊर्जा) की उपस्थिति में होती है।
कंकाल तंत्र (Skeletal System)
कंकाल तंत्र हड्डियों और उपास्थियों (cartilage) से मिलकर बना होता है। इसके मुख्य कार्य हैं:
- शरीर को सहारा देना और आकृति प्रदान करना।
- आंतरिक अंगों की रक्षा करना (जैसे खोपड़ी मस्तिष्क की)।
- पेशियों से जुड़कर संचलन में सहायता करना।
- रुधिर कोशिकाओं का निर्माण (अस्थि मज्जा में)।
- खनिजों (कैल्शियम, फॉस्फोरस) का भंडारण।
संधि (Joints)
वे स्थान जहाँ दो या दो से अधिक हड्डियाँ आपस में मिलती हैं, संधि कहलाती हैं। संधियाँ गति की सुविधा प्रदान करती हैं।
- स्थिर संधि (Fixed Joints): इनमें कोई गति नहीं होती, जैसे खोपड़ी की हड्डियों के बीच की संधि।
- अर्ध-चल संधि (Cartilaginous Joints): इनमें सीमित गति होती है, जैसे कशेरुकाओं के बीच की संधि।
- चल संधि (Synovial Joints): इनमें स्वतंत्र रूप से गति होती है। इनमें साइनोवियल द्रव (lubricating fluid) भरा होता है, जैसे घुटना, कंधा।
संचलन के प्रकार
विभिन्न जंतु अपने पर्यावरण के अनुसार अलग-अलग तरीकों से संचलन करते हैं:
- अमीबीय संचलन (Amoeboid Movement): अमीबा जैसे जीव कोशिकाद्रव्य की धारा बहने (flowing of cytoplasm) से कूटपाद (pseudopodia) बनाकर चलते हैं। मनुष्य में मैक्रोफेज जैसी कुछ कोशिकाएँ भी इस तरह गति करती हैं।
- कशाभिका संचलन (Ciliary Movement): यह छोटे, बाल जैसे प्रवर्धों (cilia) के द्वारा होता है, जैसे श्वासनली में बलगम का बाहर धकेला जाना, पैरामीशियम का तैरना।
- पेशीय संचलन (Muscular Movement): यह बहुकोशिकीय जंतुओं में पेशियों के संकुचन से होने वाला संचलन है, जैसे चलना, दौड़ना, तैरना।
मनुष्य में संचलन
मनुष्य में संचलन एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें पेशियाँ, हड्डियाँ और तंत्रिका तंत्र मिलकर काम करते हैं।
- पेशियाँ हमेशा जोड़ों (joints) पर हड्डियों से जुड़ी होती हैं।
- पेशियाँ केवल खिंच (contract) सकती हैं, धक्का (push) नहीं दे सकतीं।
- इसलिए, गति के लिए पेशियाँ जोड़े (pairs) में काम करती हैं - एक संकुचित होती है (Agonist) और दूसरी शिथिल (Relaxant) होती है।
- उदाहरण: कोहनी मोड़ने के लिए biceps संकुचित होती है और triceps शिथिल होती है।
पौधों में गमन
पौधे स्थिर होते हैं, फिर भी उनमें विभिन्न प्रकार की गतियाँ देखी जा सकती हैं:
- अनुवर्तन गति (Tropic Movements): ये बाह्य उद्दीपन (जैसे प्रकाश, गुरुत्व) की दिशा पर निर्भर करने वाली दिशात्मक गतियाँ हैं।
- प्रकाशानुवर्तन (Phototropism): प्रकाश की ओर
- गुरुत्वानुवर्तन (Geotropism): गुरुत्वाकर्षण की ओर
- जलानुवर्तन (Hydrotropism): जल की ओर
- स्पर्शानुवर्तन (Thigmotropism): स्पर्श के प्रति, जैसे लता का सहारे पर चढ़ना
- अनिश्चित गति (Nastic Movements): ये उद्दीपन की दिशा से स्वतंत्र गतियाँ हैं, जैसे छुई-मुई की पत्तियों का स्पर्श से मुरझा जाना। इनकी गति तीव्र होती है।
विकार
- ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis): हड्डियों का कमजोर और भुरभुरा हो जाना, जिसमें फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। यह मुख्यतः कैल्शियम की कमी के कारण होता है।
- गठिया (Arthritis): जोड़ों में सूजन और दर्द की स्थिति।
- मांसपेशियों में खिंचाव (Muscle Strain): अचानक हुई हिंचक से पेशी तंतुओं का खिंच जाना या फट जाना।