UP Board class 12 Chemistry Chapter 13. ऐमीन Hindi Medium Notes - PDF
अध्याय 13: ऐमीन
ऐमीन अमोनिया (NH3) के व्युत्पन्न हैं, जिनमें एक या एक से अधिक हाइड्रोजन परमाणु एल्किल या एरिल समूहों द्वारा प्रतिस्थापित होते हैं।
वर्गीकरण
प्रतिस्थापित हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या के आधार पर, ऐमीन को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:
- प्राथमिक (1°) ऐमीन: R-NH2 (उदाहरण: CH3NH2, मेथिलऐमीन)
- द्वितीयक (2°) ऐमीन: R2NH (उदाहरण: (CH3)2NH, डाइमेथिलऐमीन)
- तृतीयक (3°) ऐमीन: R3N (उदाहरण: (CH3)3N, ट्राइमेथिलऐमीन)
नामपद्धति
- सामान्य नामपद्धति: ऐल्किल समूह के नाम के बाद 'ऐमीन' शब्द जोड़कर। (उदाहरण: CH3CH2NH2 - एथिलऐमीन)
- IUPAC नामपद्धति: मूल हाइड्रोकार्बन के नाम में 'ई' को हटाकर 'ऐमीन' जोड़ा जाता है। (उदाहरण: CH3CH2NH2 - एथेनऐमीन)
तैयारी की विधियाँ
- ऐल्किल हैलाइडों की अमोनिया के साथ अभिक्रिया:
R-X + NH3 → R-NH2 + HX
(यह विधि मिश्रित उत्पाद देती है)
- नाइट्रो यौगिकों का अपचयन:
R-NO2 + 6[H] (Sn/HCl) → R-NH2 + 2H2O
- एमाइडों का अपचयन (हॉफमैन ब्रोमामाइड अवकरण):
R-CONH2 + Br2 + 4NaOH → R-NH2 + Na2CO3 + 2NaBr + 2H2O
- कार्बोक्सिलिक अम्लों की ऐमीनों के साथ अभिक्रिया:
R-COOH + R'NH2 → R-CONHR' + H2O (एमाइड बनता है, जिसे अपचयित किया जा सकता है)
- गैबरियल थैलिमाइड संश्लेषण: (शुद्ध प्राथमिक ऐमीन बनाने के लिए)
थैलिमाइड + KOH → पोटैशियम थैलिमाइड
पोटैशियम थैलिमाइड + R-X → N-ऐल्किल थैलिमाइड
N-ऐल्किल थैलिमाइड + NaOH/H2O → R-NH2
भौतिक गुण
- निम्न ऐल्किल ऐमीन गैसें होती हैं जबकि उच्च सदस्य द्रव या ठोस होते हैं।
- ऐमीन अणु अंतराआण्विक H-बंध बना सकते हैं, इसलिए इनका क्वथनांक समान आण्विक द्रव्यमान के हैलाइडों से उच्च होता है।
- प्राथमिक ऐमीन > द्वितीयक ऐमीन > तृतीयक ऐमीन (H-बंधन की क्षमता के क्रम में)
- छोटी श्रृंखला की ऐमीन जल में विलेय होती हैं क्योंकि ये जल के साथ H-बंध बना सकती हैं।
रासायनिक गुण
- क्षारीय स्वभाव:
ऐमीन कमजोर क्षारक होते हैं क्योंकि ये जल में घुलकर OH- आयन देते हैं।
R-NH2 + H2O ⇌ R-NH3+ + OH-
क्षारकता का क्रम: गैसीय अवस्था में - 3° > 2° > 1° > NH3 (ऐल्किल समूह के +I प्रभाव के कारण)
जलीय विलयन में - 2° > 1° > 3° > NH3 (विलायकीकरण और स्टीरिक बाधा के कारण)
- एसिलेशन (अम्लों के साथ अभिक्रिया):
ऐमीन, एसिल हैलाइडों और ऐनहाइड्राइडों के साथ अभिक्रिया कर N-ऐल्किल एमाइड बनाते हैं।
R-NH2 + CH3COCl → CH3-CO-NH-R + HCl
- बेन्जीनसल्फोनिल क्लोराइड (हिंसबर्ग अभिकर्मक) के साथ अभिक्रिया: (ऐमीनों के वर्गीकरण के लिए)
- प्राथमिक ऐमीन: N-ऐल्किल बेन्जीनसल्फोनामाइड बनता है जो क्षार में विलेय होता है।
- द्वितीयक ऐमीन: N,N-डाइऐल्किल बेन्जीनसल्फोनामाइड बनता है जो क्षार में अविलेय होता है।
- तृतीयक ऐमीन: कोई अभिक्रिया नहीं होती।
- कार्बिलऐमीन अभिक्रिया (आइसोसायनाइड परीक्षण):
केवल प्राथमिक ऐमीन क्लोरोफॉर्म और ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ गर्म करने पर फलीभूत ( offensive ) गंध वाले आइसोसायनाइड (कार्बिलऐमीन) बनाते हैं।
R-NH2 + CHCl3 + 3KOH → R-NC (आइसोसायनाइड) + 3KCl + 3H2O
- नाइट्रस अम्ल के साथ अभिक्रिया:
- प्राथमिक ऐलिफैटिक ऐमीन: ऐल्कोहॉल और N2 गैस देते हैं।
- प्राथमिक ऐरोमैटिक ऐमीन: डाइऐजोनियम लवण बनाते हैं (0-5°C पर)।
- द्वितीयक ऐमीन: N-नाइट्रोसोऐमीन (पीले तेल) बनाते हैं।
- तृतीयक ऐमीन: इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन देते हैं।
- ऐरोमैटिक ऐमीन का इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन:
-NH2 समूह ऑर्थो-पैरा निर्देशक और सक्रियकारक है।
ब्रोमीन जल के साथ: ऐनिलीन ब्रोमीन जल के साथ सफेद अवक्षेप 2,4,6-ट्राइब्रोमोऐनिलीन बनाती है।
डाइऐजोनियम लवण
ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन, नाइट्रस अम्ल (NaNO2 + HCl, 0-5°C) के साथ अभिक्रिया कर डाइऐजोनियम लवण बनाते हैं। Ar-N2+Cl-
- प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ (डाइऐजोनियम समूह का विस्थापन):
- जल के साथ (हाइड्रॉक्सिलिक): फीनॉल बनता है।
- हाइपोफॉस्फोरस अम्ल के साथ: डाइऐजोनियम समूह H से प्रतिस्थापित हो जाता है।
- क्यूप्रस हैलाइड के साथ (सैंडमायर अभिक्रिया):
-Cl, -Br, -CN जैसे समूह प्रतिस्थापित होते हैं।
- फ्लुओरोबोरिक अम्ल के साथ (शेमन अभिक्रिया): -F समूह प्रतिस्थापित होता है।
- युग्मन अभिक्रिया:
डाइऐजोनियम लवण फीनॉल या ऐरोमैटिक ऐमीन के साथ अभिक्रिया कर एजो यौगिक (रंगीन) बनाते हैं।
यह इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया है।
ऐमीनों के महत्वपूर्ण उपयोग
- दवाइयाँ बनाने में।
- सिन्थेटिक रेज़िन (जैसे यूरिया-फॉर्मेल्डिहाइड) बनाने में।
- रंग (डाइ) उद्योग में शुरुआती कच्चे माल के रूप में।
- कीटनाशक और शाकनाशी बनाने में।
- वैयक्तिक क्षारक के रूप में (जैसे ऐनिलीन)।