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UP Board class 12 Chemistry Chapter 5. रसायन Hindi Medium Notes - PDF

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अध्याय 5: पृष्ठ रसायन (Surface Chemistry)

5.1 परिचय

  • पृष्ठ रसायन, रसायन विज्ञान की वह शाखा है जो दो अमिश्रणीय चरणों के बीच के अंतरापृष्ठ (interface) पर होने वाली घटनाओं का अध्ययन करती है।
  • इसमें अधिशोषण, उत्प्रेरण, कोलाइड्स का निर्माण आदि जैसी प्रक्रियाएँ शामिल हैं।

5.2 अधिशोषण (Adsorption)

  • परिभाषा: अधिशोषण वह प्रक्रिया है जिसमें कोई पदार्थ (गैस, द्रव या विलेय) किसी ठोस या द्रव के पृष्ठ पर सांद्रित हो जाता है।
  • अधिशोषक (Adsorbent): वह पदार्थ जिसके पृष्ठ पर अधिशोषण होता है (जैसे: सिलिका जेल, सक्रिय चारकोल)।
  • अधिशोष्य (Adsorbate): वह पदार्थ जो अधिशोषित होता है (जैसे: गैस, विलेय अणु)।
  • अधिशोषण बनाम अवशोषण (Absorption): अधिशोषण एक पृष्ठीय घटना है, जबकि अवशोषण में पदार्थ संपूर्ण आयतन में फैल जाता है।

5.3 अधिशोषण के प्रकार

  • भौतिक अधिशोषण (Physisorption):
    • कमजोर वान डर वाल्स बलों के कारण होता है।
    • उच्च ताप पर कम हो जाता है।
    • उल्टा (reversible) होता है।
    • कम विशिष्ट होता है।
  • रासायनिक अधिशोषण (Chemisorption):
    • रासायनिक बंध (आयनिक/सहसंयोजक) बनने के कारण होता है।
    • उच्च ताप पर बढ़ता है (एक सीमा तक)।
    • अपरिवर्तनीय (irreversible) होता है।
    • अत्यधिक विशिष्ट होता है।

5.4 अधिशोषण को प्रभावित करने वाले कारक

  • अधिशोषक की प्रकृति: अधिक सतह क्षेत्रफल वाले अधिशोषक (जैसे सक्रिय चारकोल) अधिक कुशल होते हैं।
  • ताप: भौतिक अधिशोषण ताप बढ़ने पर कम होता है, जबकि रासायनिक अधिशोषण एक सीमा तक बढ़ता है।
  • दाब: गैसों का अधिशोषण दाब बढ़ने पर बढ़ता है।

5.5 अधिशोषण समतापी (Adsorption Isotherm)

  • नियत ताप पर किसी गैस की अधिशोषित मात्रा और दाब के बीच के संबंध को दर्शाने वाला वक्र।
  • फ्रेंडलिक अधिशोषण समतापी: x/m = k.p^(1/n) (जहाँ x/m अधिशोषित गैस की मात्रा, p दाब, k और n स्थिरांक हैं)

5.6 उत्प्रेरण (Catalysis)

  • उत्प्रेरक (Catalyst): वह पदार्थ जो अभिक्रिया की दर को बढ़ाता है लेकिन स्वयं अभिक्रिया के अंत में रासायनिक रूप से अपरिवर्तित रहता है।
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • थोड़ी मात्रा में आवश्यक।
    • अभिक्रिया का साम्य स्थिरांक (K_eq) नहीं बदलता।
    • एक उत्प्रेरक अग्र और प्रतीप दोनों अभिक्रियाओं की दर को समान रूप से बढ़ाता है।
  • प्रकार:
    • सजातीय उत्प्रेरण (Homogeneous Catalysis): उत्प्रेरक और अभिकारक एक ही प्रावस्था में होते हैं।
    • विषमांगी उत्प्रेरण (Heterogeneous Catalysis): उत्प्रेरक और अभिकारक अलग-अलग प्रावस्था में होते हैं (जैसे: ठोस उत्प्रेरक पर गैसीय अभिकारक)।
  • अधिशोषण सिद्धांत (Adsorption Theory): विषमांगी उत्प्रेरण का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत। इसमें अभिकारक अणु उत्प्रेरक की सतह पर अधिशोषित होकर एक सक्रिय संकुल (activated complex) बनाते हैं, जो टूटकर उत्पाद देता है।

5.7 एन्जाइम उत्प्रेरण (Enzyme Catalysis)

  • एन्जाइम जटिल नाइट्रोजनयुक्त कार्बनिक पदार्थ (प्रोटीन) हैं जो जैविक अभिक्रियाओं के उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।
  • माइकैलिस-मेन्टेन क्रियाविधि (Michaelis-Menten Mechanism): एन्जाइम (E) सब्सट्रेट (S) के साथ मिलकर एक एन्जाइम-सब्सट्रेट संकुल (ES) बनाता है, जो आगे चलकर उत्पाद (P) और मुक्त एन्जाइम देता है।
  • विशेषताएँ: उच्च क्रियाशीलता, विशिष्टता और इष्टतम ताप एवं pH पर कार्य करना।

5.8 कोलॉइडी अवस्था (The Colloidal State)

  • कोलॉइड (Colloid): एक बहु-प्रावस्था तंत्र जहाँ एक पदार्थ (परिक्षिप्त प्रावस्था) दूसरे पदार्थ (परिक्षेपण माध्यम) में 1 nm से 1000 nm आकार के कणों के रूप में परिक्षिप्त रहता है।
  • घटक:
    • परिक्षिप्त प्रावस्था (Dispersed Phase): वह पदार्थ जो परिक्षिप्त होता है।
    • परिक्षेपण माध्यम (Dispersion Medium): वह पदार्थ जिसमें परिक्षेपण होता है।

5.9 कोलॉइड्स का वर्गीकरण

  • परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण माध्यम के आधार पर: कोलॉइड्स को 8 प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है (जैसे: फोम, सॉल, जेल, इमल्शन आदि)।
  • अणुओं की परस्पर क्रिया के आधार पर:
    • विलयनशील (Lyophilic Colloids): परिक्षेपण माध्यम के प्रति आकर्षण रखते हैं, स्थायी, उल्टे (reversible) होते हैं। (जैसे: गोंद, स्टार्च)
    • विलयनविरोधी (Lyophobic Colloids): परिक्षेपण माध्यम के प्रति आकर्षण नहीं रखते, अस्थायी, अपरिवर्तनीय होते हैं। (जैसे: सोने, रजत के सॉल)

5.10 कोलॉइड्स के गुण

  • टिंडल प्रभाव (Tyndall Effect): कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण प्रकाश पुंज का दृश्यमान होना। यह कोलॉइड्स की पहचान है।
  • ब्राउनी गति (Brownian Movement): परिक्षेपण माध्यम के अणुओं के टकराव के कारण कोलॉइडी कणों की अनियमित जिगज़ैग गति।
  • विद्युत-अपघट्यों का स्कंदन (Coagulation by Electrolytes): विलयनविरोधी सॉल विद्युत-अपघट्य मिलाने पर अस्थिर हो जाते हैं और कण इकट्ठे होकर अवक्षेपित हो जाते हैं।
  • विक्षेपण (Dialysis): एक झिल्ली की सहायता से कोलॉइडी कणों से विद्युत-अपघट्यों जैसे छोटे अणुओं को अलग करने की प्रक्रिया।

5.11 कोलॉइड्स का महत्व

  • प्रकृति में: आकाश का नीला रंग, नदियों का डेल्टा बनना।
  • उद्योग में: रबर उद्योग, साबुन और डिटर्जेंट का निर्माण।
  • चिकित्सा में: दवाओं का संश्लेषण, आहार के रूप में।
  • दैनिक जीवन में: दूध, मक्खन, पनीर, स्याही, पेंट आदि।

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