UP Board class 11 Geography Chapter 3. पृथ्वी की आंतरिक सरंचना Hindi Medium Notes - PDF
अध्याय 3: पृथ्वी की आंतरिक संरचना
यह अध्याय पृथ्वी के आंतरिक भाग की संरचना, उसकी परतों और उनके गुणों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
पृथ्वी की आंतरिक संरचना का ज्ञान कैसे होता है?
पृथ्वी का आंतरिक भाग सीधे देखने या पहुँचने योग्य नहीं है। वैज्ञानिकों ने निम्नलिखित अप्रत्यक्ष स्रोतों के आधार पर इसके बारे में जानकारी एकत्रित की है:
- ज्वालामुखी से निकला लावा: यह पृथ्वी के मेंटल परत की संरचना के बारे में संकेत देता है।
- उल्कापिंड: उल्कापिंडों का विश्लेषण करके पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में अनुमान लगाया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि उल्कापिंड और पृथ्वी एक ही समय पर बने थे।
- गुरुत्वाकर्षण और चुंबकीय क्षेत्र: इनमें होने वाले परिवर्तन आंतरिक संरचना के बारे में जानकारी देते हैं।
- सीस्मिक तरंगें (Seismic Waves): भूकंप के दौरान उत्पन्न होने वाली इन तरंगों का अध्ययन पृथ्वी की आंतरिक संरचना को समझने का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। विभिन्न घनत्व वाली परतों से गुजरने पर इन तरंगों के वेग और दिशा में परिवर्तन होता है।
पृथ्वी की प्रमुख परतें
पृथ्वी की आंतरिक संरचना को मुख्य रूप से तीन परतों में बाँटा गया है:
- भूपर्पटी (Crust)
- मैंटल (Mantle)
- क्रोड (Core)
1. भूपर्पटी (Crust)
- यह पृथ्वी की सबसे ऊपरी और पतली परत है।
- इसकी मोटाई महाद्वीपों और महासागरों के नीचे अलग-अलग होती है।
- महाद्वीपीय भूपर्पटी: लगभग 30-35 किमी मोटी (हिमालय जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में 70 किमी तक)।
- महासागरीय भूपर्पटी: लगभग 5-10 किमी मोटी।
- महाद्वीपीय भूपर्पटी सिलिका (Si) और एल्युमिनियम (Al) से बनी है, इसलिए इसे ‘सियाल’ (Sial) भी कहते हैं।
- महासागरीय भूपर्पटी सिलिका (Si) और मैग्नीशियम (Mg) से बनी है, इसलिए इसे ‘सीमा’ (Sima) कहते हैं।
- भूपर्पटी और मेंटल के बीच की सीमा को मोहो असंबद्धता (Moho or Mohorovicic Discontinuity) कहा जाता है।
2. मेंटल (Mantle)
- भूपर्पटी के ठीक नीचे की परत मेंटल है, जो लगभग 2900 किमी मोटी है।
- इस परत का ऊपरी भाग एस्थेनोस्फीयर (Asthenosphere) कहलाता है जो अर्ध-पिघले हुए पदार्थ (magma) की तरह व्यवहार करता है। यहीं से ज्वालामुखी के लावा की उत्पत्ति होती है।
- यह परत मुख्य रूप से सिलिका और मैग्नीशियम से बनी है, इसलिए इसे ‘सीमा’ (Sima) भी कहा जाता है।
- मेंटल और क्रोड के बीच की सीमा को गुटेनबर्ग असंबद्धता (Gutenberg Discontinuity) कहते हैं।
3. क्रोड (Core)
- यह पृथ्वी का सबसे भीतरी और गहरा भाग है, जिसकी त्रिज्या लगभग 3500 किमी है।
- यह मुख्य रूप से निकेल (Ni) और लोहा (Fe) से बना है, इसलिए इसे ‘निफे’ (Nife) कहा जाता है।
- क्रोड को दो भागों में बाँटा गया है:
- बाह्य क्रोड: तरल अवस्था में है।
- आंतरिक क्रोड: ठोस अवस्था में है। अत्यधिक दबाव और तापमान के कारण यह ठोस बना रहता है।
- पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बाह्य क्रोड में धाराओं के कारण उत्पन्न होता है।
पृथ्वी के ताप का स्रोत
- पृथ्वी के आंतरिक भाग में मुख्य ताप स्रोत रेडियोएक्टिव तत्वों का क्षय है।
- इसके अलावा, गुरुत्वाकर्षण के कारण दबाव और ग्रह के निर्माण के समय की प्रारंभिक ऊष्मा भी योगदान देती है।
महत्वपूर्ण शब्दावली
- असंबद्धता (Discontinuity): वह सीमा जहाँ भूकंपीय तरंगों के वेग में अचानक परिवर्तन होता है, जो संरचना में परिवर्तन को दर्शाता है।
- सीस्मिक तरंगें (Seismic Waves): भूकंप के दौरान उत्पन्न होने वाली ऊर्जा की तरंगें।
- एस्थेनोस्फीयर (Asthenosphere): मेंटल का ऊपरी, नर्म और अर्ध-पिघला हुआ भाग, जहाँ टैक्टोनिक प्लेटें गति करती हैं।
- लिथोस्फीयर (Lithosphere): भूपर्पटी और मेंटल के ऊपरी ठोस भाग का मिला-जुला नाम। यह टैक्टोनिक प्लेटों से बनी होती है।