UP Board class 11 Geography Chapter 7. भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास Hindi Medium Notes - PDF
अध्याय 7: भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास (Landforms and their Evolution)
यह अध्याय पृथ्वी की सतह पर पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के स्थलरूपों (भू-आकृतियों) और उनके निर्माण की प्रक्रियाओं से संबंधित है।
भू-आकृतियाँ क्या हैं? (What are Landforms?)
- पृथ्वी की सतह पर पाए जाने वाले प्राकृतिक रूपों को भू-आकृतियाँ कहते हैं।
- ये आकार और आकृति में बहुत विविध होती हैं, जैसे - पर्वत, पहाड़ियाँ, मैदान, पठार, घाटियाँ, मरुस्थल आदि।
- भू-आकृतियों का निर्माण दो मुख्य प्रक्रियाओं के द्वारा होता है:
- आंतरिक बल (Endogenic Forces): ये बल पृथ्वी के आंतरिक भाग से उत्पन्न होते हैं, जैसे - भूसंचलन (Diastrophism), ज्वालामुखी (Volcanism) आदि। ये बल मुख्य रूप से निर्माणात्मक (Constructive) होते हैं।
- बाह्य बल (Exogenic Forces): ये बल पृथ्वी के बाहरी भाग (वायुमंडल) पर कार्य करते हैं, जैसे - अपक्षय (Weathering), अपरदन (Erosion), परिवहन (Transportation) और निक्षेपण (Deposition)। ये बल मुख्य रूप से विनाशात्मक (Destructive) होते हैं।
- किसी भी भू-आकृति का वर्तमान स्वरूप इन दोनों बलों की आपसी क्रिया का परिणाम होता है।
भू-आकृतियों के प्रकार (Types of Landforms)
मोटे तौर पर भू-आकृतियों को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है:
- प्रथम श्रेणी की भू-आकृतियाँ (First Order Landforms): ये बहुत बड़े आकार की होती हैं, जैसे - महाद्वीप (Continents) और महासागरीय बेसिन (Ocean Basins)।
- द्वितीय श्रेणी की भू-आकृतियाँ (Second Order Landforms): ये प्रथम श्रेणी की भू-आकृतियों के अंतर्गत आती हैं, जैसे - पर्वत, पठार, मैदान, महासागरीय नितल की विशेष आकृतियाँ (Ridges, Trenches) आदि।
- तृतीय श्रेणी की भू-आकृतियाँ (Third Order Landforms): ये द्वितीय श्रेणी की भू-आकृतियों से छोटी और उनके अंतर्गत बनने वाली आकृतियाँ हैं, जैसे - घाटी, गॉर्ज, सर्क, जलप्रपात, बालू के टीले, डेल्टा आदि। ये मुख्य रूप से बाह्य बलों द्वारा निर्मित होती हैं।
बाह्य बलों द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ (Landforms by Exogenic Forces)
बाह्य बलों में विभिन्न अपरदनकारी एजेंट (Agents) शामिल हैं, जो अलग-अलग भू-आकृतियों का निर्माण करते हैं।
1. नदी द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ (Landforms by River)
नदी के तीन कार्य होते हैं: अपरदन (Erosion), परिवहन (Transportation) और निक्षेपण (Deposition)।
- अपरदनात्मक आकृतियाँ (Erosional Landforms):
- V-आकार की घाटी (V-shaped Valley): नदी के ऊपरी मार्ग में तीव्र गति और ढाल के कारण गहरा अपरदन होता है, जिससे V-आकार की संकरी घाटियाँ बनती हैं।
- गॉर्ज / कैन्यन (Gorge / Canyon): शुष्क क्षेत्रों में जहाँ पार्श्व अपरदन कम होता है, वहाँ बहुत गहरी और खड़ी किनारों वाली घाटियाँ बनती हैं, जैसे - ग्रैंड कैन्यन (USA)।
- जलप्रपात (Waterfall): नदी जब कठोर और मुलायम चट्टानों से होकर बहती है तो मुलायम चट्टानों का तेजी से अपरदन होता है और कठोर चट्टानें ऊँची रह जाती हैं, जिससे जलप्रपात बनते हैं।
- विमानिक सतह / पेनिप्लेन (Peneplain): अपरदन की अंतिम अवस्था में एक विशाल, almost समतल और मंद ढाल वाली सतह बन जाती है।
- निक्षेपणात्मक आकृतियाँ (Depositional Landforms):
- बाढ़ के मैदान (Flood Plains): नदी द्वारा अपने किनारों पर बाढ़ के समय बिछाई गई उपजाऊ मिट्टी की परतों से बने चौड़े मैदान।
- विसर्प / मियेंडर (Meander): नदी के मध्य और निचले मार्ग में बनने वाले टेढ़े-मेढ़े लूप जैसे मोड़।
- गोखुर झील (Ox-bow Lake): विसर्प के गर्दन वाले हिस्से के कट जाने से अलग होकर बनी हुई चन्द्राकार झील।
- डेल्टा (Delta): नदी जब समुद्र या झील में गिरती है तो उसका वेग कम हो जाता है और वह अपने साथ लाई गई तलछट को जमा कर देती है, जिससे एक त्रिभुजाकार आकृति बनती है। उदाहरण: सुंदरवन डेल्टा (गंगा-ब्रह्मपुत्र)।
- प्राकृतिक तटबंध (Natural Levees): बाढ़ के समय नदी के किनारों पर मोटे कणों का जमाव होने से बने ऊँचे किनारे।
2. हिमानी (ग्लेशियर) द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ (Landforms by Glacier)
हिमानी बर्फ की एक विशाल चादर होती है जो धीरे-धीरे खिसकती (Flow) है।
- अपरदनात्मक आकृतियाँ:
- U-आकार की घाटी (U-shaped Valley / Glacial Trough): हिमानी के घर्षण से V-आकार की घाटी का आकार U-आकार में बदल जाता है।
- सर्क / कर्व (Cirque / Corrie): पहाड़ियों की चोटी पर बना अर्धगोलाकार गड्ढा, जहाँ से हिमानी की शुरुआत होती है।
- ऐरेट (Arête): दो आस-पास के सर्कों के अपरदन से बना तीखा किनारा।
- पिरामिडन शिखर / हॉर्न (Pyramidal Peak / Horn): तीन या अधिक सर्कों के अपरदन से बना नुकीला पर्वत शिखर, जैसे - माउंट एवरेस्ट।
- फ्जॉर्ड (Fjord): समुद्र में डूबी हुई U-आकार की घाटी।
- निक्षेपणात्मक आकृतियाँ:
- मोरेन (Moraine): हिमानी द्वारा लाई गई और जमा की गई चट्टानों, बजरी, मिट्टी के मलबे के ढेर। ये अलग-अलग स्थानों पर पाए जाते हैं:
- पार्श्व मोरेन (Lateral Moraine)
- मध्य मोरेन (Medial Moraine)
- अंतिम मोरेन (Terminal Moraine)
- अधस्तल मोरेन (Ground Moraine)
- एस्कर (Esker): हिमानी के नीचे बहने वाली नदियों द्वारा जमा की गई बजरी और रेत की लंबी, संकरी रिज (Ridge)।
- ड्रमलिन (Drumlin): अंडे के आकार के ऊँचे टीले जो मोरेन के जमाव से बनते हैं।
3. पवन द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ (Landforms by Wind)
ये आकृतियाँ मुख्यतः शुष्क और अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
- अपरदनात्मक आकृतियाँ:
- वातानुकार्य / यारडैंग (Yardang): पवन द्वारा नरम चट्टानों को काटकर बनाई गई तीखी रिज और खांचे वाली आकृतियाँ।
- ज्यूगेन / इन्सेलबर्ग (Inselberg): मरुस्थल में एकाकार खड़ी पहाड़ी या चट्टान। ('मरुस्थल का द्वीप')
- विंडो / खिड़की (Wind Window): पवन द्वारा चट्टान में बना छिद्र।
- निक्षेपणात्मक आकृतियाँ:
- बालू के टीले (Sand Dunes): पवन द्वारा उड़ाकर लाई गई रेत के जमाव से बने टीले। इनके कई प्रकार होते हैं:
- बरखान (Barchan): अर्द्धचन्द्राकार टीला।
- अनुप्रस्थ टीला (Transverse Dune): पवन की दिशा के लंबवत बने टीले।
- लंबिक टीला (Longitudinal Dune): पवन की दिशा के समानांतर बने लंबे टीले।
- लोएस (Loess): पवन द्वारा जमा की गई महीन मृत्तिका (Silt) की मोटी परत। यह बहुत उपजाऊ होती है।
4. समुद्री तरंगों द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ (Landforms by Sea Waves)
- अपरदनात्मक आकृतियाँ:
- समुद्री किनारा (Sea Cliff): तटीय चट्टानों के आधार के खोखला हो जाने से ऊपर की चट्टानों के गिरने से बना खड़ा ढाल।
- समुद्री गुफा (Sea Cave): चट्टानों के कमजोर हिस्सों में समुद्री लहरों द्वारा बनाया गया गड्ढा या गुफा।
- प्रस्तर मेखला / वेव-कट प्लेटफॉर्म (Wave-cut Platform): समुद्री किनारे के पीछे हट जाने के बाद समुद्र तल पर रह गया समतल भाग।
- निक्षेपणात्मक आकृतियाँ:
- समुद्री तट (Beach): तट के along जमा हुआ बालू, कंकड़ और गोलाश्म (Pebbles) का क्षेत्र।
- अवरोधक द्वीप / बार (Bar): समुद्र के अंदर रेत या बजरी का लंबा रिज (Ridge)।
- लैगून (Lagoon): किसी बार या प्रवाल भित्ति (Coral Reef) द्वारा मुख्य समुद्र से अलग हुआ जल क्षेत्र, जैसे - चिल्का झील।
- अंगुलीकृत स्पिट (Spit): तट से समुद्र की ओर निकला हुआ रेत का एक संकरा भू-भाग।
5. भूमिगत जल द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ (Karst Landforms by Groundwater)
ये आकृतियाँ चूना-पत्थर (Limestone) जैसी घुलनशील चट्टानों वाले क्षेत्रों में बनती हैं।